हाथ ना होने के बावजूद भी विदेशी तैराको को मात देखकर रचा इतिहास, पढ़े पूरी कहानी

अगर आपके सपनों में जान हैं तो आप कुछ भी कर सकते हैं, आज हम आपको ऐसे शख्स से परिचित करवाने वाले हैं,जिनके सपनों में इतनी जानती की अपने हाथों को खोने के बाद भी अपने सपनों को पूरा करने के लिए अपने दृढ़ संकल्प और बड़ी चुनौतियों के साथ भारत को 5-5 गोल्ड मेडल जीता कर एक अलग ही इतिहास रच दिया, यह कहानी है, एक ऐसे जांबाज खिलाड़ी की जिन्होंने बिना हाथों के ही अपने पिता का सपना पूरा करना वाजिब समझा, सुयश जाधव आज युवाओं के लिए काफी बड़ी प्रेरणा के स्त्रोत बन चुके हैं, बिना हाथों के स्विमिंग में नंबर एक पर आकर अपना नाम देश और समाज में काफी ऊंचे स्तर पर बनाने सुयश जाधव आज काफी ज्यादा चर्चा का विषय बने हुए हैं।

पिता के सपने को सुयश जाधव ने किया पूरा

हाथ ना होने के बावजूद भी विदेशी तैराको को मात देखकर रचा इतिहास, पढ़े पूरी कहानी

सुयश जाधव के पिता भी राज्य स्तर के तेरा थे वे चाहते थे, कि उनका बेटा भी तेरा बने पर 11 साल की उम्र में ही सुयश जाधव के साथ एक हादसा हुआ, जिसमें उनके हाथ चले गए हालांकि उन्होंने खुद पर तरस में खाकर मेहनत की और खुद को विश्व स्तरीय तेरा बनाया उन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया, वह साल 2016 में एमआर के रियो ओलंपिक के लिए भी क्वालीफाई करने वाले इकलौते तेराक थे, हालांकि वह किसी भी इवेंट में मेडल नहीं जीत पाए थे,सुयश जाधव ने साल 2018 में पैरा एशियाई खेलों में पुरुषों के 50 मीटर फ्रीस्टाइल एस-7 13 की स्पर्धा में कांस्य पदक हासिल किया था,
सुयश जाधवने अपने जीवन काल में काफी खेल खेले हैं लेकिन आज इनके मुकाबले स्विमिंग इंडस्ट्री में कोई नहीं है,

टीचर की एक बात ने बदल दी सुयश जाधव की सोच

हाथ ना होने के बावजूद भी विदेशी तैराको को मात देखकर रचा इतिहास, पढ़े पूरी कहानी

सुयश जाधव ने बताया कि वह शुरुआत में खुद पर तरस खाते थे लेकिन शिक्षक की एक सलाह आने उनकी पूरी जिंदगी बदल दी उन्होंने बताया बाकी लोगों जैसे मैं भी खुद पर तरस खाता था, 1 दिन टेस्ट में मुझे 40 में से 36 अंक मिले थे मैंने टीचर से कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि मेरी गलती का कारण ऐसा हुआ है, मैंने उसमें कहा कि मेरी हालत देखते हुए मेरी मदद करनी चाहिए तब उन्होंने मुझे समझाया की हमदर्दी के कारण वह मुझे अंक देगी तो मैं हमेशा भीख मांगता रहूंगा जो सही नहीं है, इसलिए मैं हमेशा मेरी मेहनत और मेरे जड़ संकल्प पर भरोसा करता हूं, सुयश जाधव का कहना है कि अगर उस समय टीचर मेरी हमदर्दी में हां में हां मिला देती तो मैं मेरी जिंदगी में कुछ नहीं कर पाता आज मेरी टीचर की बदौलत में यहां पहुंच पाया हूं, मैं हर किसी को यही कहना चाहूंगा कि वह अपनी सिर्फ अपनी मेहनत पर ध्यान दें आपको वह सब मिलेगा जो आपको चाहिए बस आप मेहनत करते रहिएगा।

About Krishna Singh

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *