बिना हाथो के इस तैराक ने बनाया विश्व रिकॉर्ड, दिन-रात मेहनत कर स्विमिंग में भारत को दिलाया गोल्ड मेडल

आपको आपकी कड़ी मेहनत कुछ भी दिला सकती है यह मत सोचो कि तुम्हारे पास क्या है, और क्या नहीं है उसके बारे में सोचो जो आपके पास है और आप उस पर अपना वक्त जाया कर सकते हैं, और अपनी मेहनत का रंग दिखा सकते हैं, आज ऐसे ही एक रोचक कहानी हम आपको सुनाने वाले हैं यह कहानी है सुयश जाधव के जिन्होंने बिना दोनों हाथों के ही तैराकी की दुनिया में काफी बड़ा नाम बनाया है, पैरा स्विमर सूर्यनारायण टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली भारत के पहले तैराक बन गए हैं, अब तक देश कब कोई 13 ओलंपिक या पैरा ओलंपिक के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाया है,सुयश जाधव 50 मीटर की कैटेगरी और 200 मीटर की व्यक्तिगत केटेगरी में हिस्सा लेंगे, सुयश जाधव को साल 2018 में एशियन गेम्स के लिए ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट घोषित किया गया था।

पिता चाहते थे सुयश जाधव बने तैराक

बिना हाथो के इस तैराक ने बनाया विश्व रिकॉर्ड, दिन-रात मेहनत कर स्विमिंग में भारत को दिलाया गोल्ड मेडल

सुयश जाधव का नाम आज हर जगह गूंज रहा है,सुयश जाधव पिता भी राज्य लेवल के तेराक थे वह चाहते थे कि उनका बेटा भी तेराक बने, 3 साल की उम्र में ही सुयश जाधव मैं तेराकी मैं अपना प्रदर्शन दिखाना शुरू कर दिया था, जब बहन 6 साल के थे तब उनको एक शॉर्ट सर्किट की वजह से दोनों हाथों को कब आना पड़ा था, हालांकि उन्होंने खुद पर तरस मैं खाकर मेहनत और खुद को वर्ल्ड क्लास तैराक बनाया, पिछले साल ही उन्हें अर्जुन अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था,सुयश जाधव भारत के पहले ऐसे तेराक बने हैं, जिन्होंने ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर भारत के लिए एक अलग ही किताब रख दिया था,सुयश जाधव भारत के पहले ऐसे ओलंपिक मेडलिस्ट है जिन्होंने बिना हाथों के ही भारत को काफी बड़ी जीत दिला दी।

लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन चुके हैं सुयश जाधव

बिना हाथो के इस तैराक ने बनाया विश्व रिकॉर्ड, दिन-रात मेहनत कर स्विमिंग में भारत को दिलाया गोल्ड मेडल

सुयश जाधव ने बताया कि वह शुरुआत में खुद को तरस खाते थे लेकिन शिक्षक किस 1 साल आने उनकी पूरी जिंदगी को बदल कर रख दिया, उन्होंने बताया कि बाकी लोगों जैसे मैं खुद पर तरस नहीं खाता था, जब शिक्षक ने मुझे मेरे हक की लड़ाई के लिए लड़ना सिखाया तो मैं उस समय समझा कि मुझे क्या करना है, मैंने अपनी मेहनत पर कड़ी मेहनत करना शुरू किया साथ ही बड़ी चुनौतियों के साथ भी हंसकर लड़ाई लड़नी शुरू कर दी, मैं मेरी गलतियों से सीखता गया कुछ ही समय बाद मुझे वह सब मिलता गया जो मुझे चाहिए था, मैंने मेरे पिता का सपना पूरा कर एक अलग ही इतिहास रचा आज मुझे जो चाहिए वह सब मुझे मेरी मेहनत से मिल चुका है, मैं सभी युवाओं को एक ही बात कहूंगा की अपनी मेहनत पर ध्यान दीजिए आपको जो चाहिए वह आपको अपनी मेहनत से मिल जाएगा।

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