सतीश कौशिक के निर्देशन में बनीं इस फिल्म ने सलमान खान के डूबते करियर को दिया था सहारा

सलमान खान की फिल्म ‘तेरे नाम’ आप सभी को याद होगी. साल 2003 में आई इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर जानदार रिस्पॉन्स दिया था, साथ ही सलमान खान के राधे लुक ने भी दर्शकों के बीच जमकर पॉपुलरैरिटी हासिल की थी.कहते हैं इस फिल्म ने भाईजान के करियर को एक बार फिर से उठाने में रामसेतू का काम किया. इस फिल्म का निर्देशन सतीश कौशिक ने किया था.दरअसल ‘तेरे नाम’ तमिल फिल्म ‘सेतु’ का रीमेक थी. ऐसा भी सुनने में आया था कि इसी फिल्म के दौरान अनुराग कश्यप और सलमान खान की दुश्मनी शुरू हुई थी. दरअसल पहले इस फिल्म का निर्देशन अनुराग कश्यप कर रहे थे, लेकिन बाद में इस फिल्म के निर्देशन की कमान सतीश कौशिक ने ले ली. फिल्म के सीक्वल की भी चर्चा पिछले दिनों चल रही थी.

बंपर हिट फिल्म रही तेरे नाम

सतीश कौशिक के निर्देशन में बनीं इस फिल्म ने सलमान खान के डूबते करियर को दिया था सहारा

बता दें, ‘तेरे नाम’ से पहले सलमान खान ने आधा दर्जन के करीब फ्लॉप फिल्में दीं. अभिनेता के साथ उनके फैंस भी भाईजान की फ्लॉप फिल्मों से निराश हो गए थे. वहीं सतीश कौशिक के निर्देशन में बनी फिल्म ‘तेरे नाम’ से एक बार फिर से सलमान के करियर को बूम मिला और एक बार फिर से अभिनेता का डगमगाता करियर पटरी पर आया. तेरे नाम’ के सीक्वल पर भी काम चल रहा था. फिल्म का प्री-प्रोडक्शन सतीश कौशिक ने शुरू कर दिया था. खबरें आई थीं कि सतीश कौशिक ने तेरे नाम की फिल्म की स्क्रिप्ट पूरी कर ली है. पंकज त्रिपाठी स्टारर ‘कागज’ की शूटिंग खत्म करने के बाद वो ‘तेरे नाम’ की शूटिंग शुरू करेंगे.खैर अब सतीश कौशिक ने दुनिया को अलविदा कह दिया है, अब इस फिल्म के सीक्वल का क्या होगा या नहीं इस बारे में तो आइडिया नहीं है, लेकिन ये जरूर कहा जाएगा कि सतीश कौशिक ने इंडस्ट्री में जहां अपनी शानदार फिल्मों से कई न्यू कमर के करियर में चारचांद लगाया तो वहीं ‘तेरे नाम’ जैसी सुपरहिट फिल्म को बना कर सलमान खान के भी डूबते करियर को सहारा दिया.

सतीश कौशिक का फिल्मों के प्रति समर्पण

सतीश कौशिक के निर्देशन में बनीं इस फिल्म ने सलमान खान के डूबते करियर को दिया था सहारा

राजस्थान से सटे प्रदेश हरियाणा से थे सतीश चंद्र कौशिक अब हमारे बीच नही रहे.सबके दिलों को गुदगुदाने वाले 66 वर्ष के एक्टर- डायरेक्टर,को दिल ने ही धोखा दे दिया. हार्ट अटैक से उनकी जान चली गई. राजस्थान से नाता अटूट था! ननिहाल जो था यहां. गाहे बगाहे यहां किसी न किसी फंक्शन में आते रहते थे. कुछ ही दिन पहले सतीश सरदारशहर आए थे. हमेशा नई तकनीक, नए डेवलेप्मेंट्स को लेकर सचेत और जागरूक रहते थे. यहां वो आए तो बहुतों को अपना मुरीद बना गए. वही बेबाकी और बेलौस अंदाज दिखा. फिल्म फेस्टिवल के दौरान ही कहा था- हरियाणा से हूं और वहां की लैंग्वेज में मूवी बनाता हूं. यूपी-मराठी सिनेमा भी शक्तिशाली है. जरूरत है तो इच्छा शक्ति की, क्योंकि किसी न किसी को तो कदम उठाना पड़ेगा. राजस्थानी सिनेमा को लेकर बड़ी बात कही थी. कहा था- ये इंडस्ट्री भी तभी उभर सकती है, जब यहां कोई पागलपन की हद तक उसे उभारने के लिए काम करे.

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