मैं ‘कॉमेडियन कहे जाने पर आपत्ति जताता हूं’ – सतीश कौशिक

अभिनेता सतीश कौशिक का गुरुवार की सुबह सुबह एकाएक चले जाना हिंदी फिल्म जगत और उनके प्रशंसकों के लिए किसी सदमे की तरह रहा, सतीश कौशिक से यूं तो तमाम मुलाकातें और बातें हुई हैं और हर बार वह जब मिले तो हंसकर ही मिले, लोग उनको बेस्ट कॉमेडियन कहते तो वह बस मुस्कुराकर रह जाते, फिर कहते, ‘मैं अपने नाम के साथ जुड़े कॉमेडियन शब्द को बहुत ज्यादा गंभीरता से नहीं लेता, मुझे लगता है कि अभिनेता एक अभिनेता ही होता है, अगर वह कोई कॉमेडी का किरदार करता है तो उसको कॉमेडियन थोड़े ही कहेंगे, वह तो अभिनेता ही होता है,

किरदारों की खूबसूरती ये है

मैं 'कॉमेडियन कहे जाने पर आपत्ति जताता हूं' - सतीश कौशिक

सतीश कौशिक को हिंदी सिनेमा के वे दिन बहुत सुनहरे लगते जब कहानियों का फोकस सिर्फ हीरो या हीरोइन पर नहीं होता था, एक मुलाकात में उन्होंने कहा था, ‘हिंदी फिल्मों में 70, 80 और 90 के दशक में जो खांचे बने होते थे, उन्हें भरने का काम हम करते थे, उस हिसाब से मैं मानता हूं कि मेरे किए वह सभी अभिनेताओं के ही किरदार रहे, न कि कॉमेडियन के, मैंने फिल्मों में जितने भी कॉमिक किरदार किए हैं, वह हमेशा किरदारों से जुड़े रहे। चाहे वह मेरा कैलेंडर का किरदार हो, उसके हावभाव और पारिवारिक विशेषताओं के चलते वह पूरा एक किरदार था, वह सिर्फ हंसाने के लिए कुछ नहीं करता था। ‘साजन चले ससुराल’ का मुथुस्वामी, ‘बड़े मियां छोटे मियां’ का शराफत अली, ‘हसीना मान जाएगी’ में मेरा संवाद, ‘आइए तो सही, बैठिए तो सही’, यह सभी किरदार अभिनय से ही जुड़े रहे।’

कॉमेडियन कहे जाने पर मुझे एतराज

मैं 'कॉमेडियन कहे जाने पर आपत्ति जताता हूं' - सतीश कौशिक


कैलेंडर के अलावा सतीश कौशिक का दूसरा सबसे मशहूर किरदार रहा पप्पू पेजर का, इस बारे में एक बार चर्चा चलने पर उन्होंने कहा था, ‘मेरा जो पप्पू पेजर का किरदार है वह कोई कॉमेडियन का किरदार नहीं था, वह किरदार कुछ ही मिनटों का था लेकिन उसने पूरी फिल्म के बीच में दर्शकों पर एक प्रभाव छोड़ा, तो, वह भी पूरा एक किरदार ही था, इसलिए मैं अपने आपको कॉमेडियन कहलाने पर कड़ी आपत्ति जताता हू, पुरानी फिल्मों में जो भी ह्यूमर के बादशाह हुआ करते थे, उनमें जॉनी वॉकर साहब, महमूद भाई जान थे, मेरे हिसाब से यह सबसे बड़े स्टारों में से एक थे। वह बड़े बड़े अभिनेताओं से ज्यादा फीस लेते थे, उसका कारण यह है कि वह दर्शकों से आसानी से मिलजुल जाते थे और उनके काम को देखकर दर्शकों को खुशी मिलती थी, आराम सा मिलता था, तो, उनको कॉमेडियन कहना गलत है, हीरो को तो कोई कॉमेडियन नहीं बोलता, अब अमिताभ बच्चन को कोई कॉमेडियन बोलेगा, बाद में भी जितने अभिनेताओं ने कॉमेडी करना शुरू कर दी, तो, क्या उन्हें कॉमेडियन कहना शुरू कर दिया गया.

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