भारत का एक ऐसा गांव जहां पर औरतें बारिश के दिनों में नहीं पहनती है कपड़े वजह जानकर रह जाएंगे आप भी काफी ज्यादा दंग

भारत के इस जगत में ऐसी कई अजीबोगरीब परंपराएं आज भी है जिन्हें देखकर ही लोगों का सर चकरा जाता है, जिनके लिए हर व्यक्ति को इन परंपराओं का पालन करना पड़ता है जिनमें महिलाएं भी शामिल होती है, भारतवर्ष के इस जहां में भारत का एक ऐसा गांव भी है जिसमें महिलाएं बारिश के दिनों में बिना कपड़ों के ही अपना जीवन यापन करती है,जहां महिलाओं को सावन के महीने में पांच दिन तक बिना कपड़ों के ही रहना पड़ता है,यह ऐसी परंपरा है जिसे लंबे समय से निभाया जा रहा है और इस दौरान गांव की सभी महिलाएं ऐसा ही करती हैं, ऐसा क्यों करती है और भारत का यह कौन सा गांव है इन सभी की जानकारी आज हम इस आर्टिकल के जरिए आपको देने वाले हैं, तो दिल थाम कर बैठिए और इस आर्टिकल का भरपूर मजा लीजिए इस आर्टिकल के जरिए हम आपको इस अजीबोगरीब परंपरा की संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं।

हिमाचल प्रदेश में बारिश के दिनों में महिलाएं नहीं पहनती हैं कपड़े, इस अलग परंपरा के पीछे क्या राज है आइए जानते हैं,

भारतवर्ष का सबसे ज्यादा माना राज्य हिमाचल प्रदेश जो कि कुदरत का एक करिश्मा है, यहां पर आपको पेड़ पौधे और कुदरत के करिश्मे के अलावा बहुत सी ऐसी चीजें देखने को मिलेगी जिसे देखकर कि आपको आनंद की प्राप्ति होगी, लेकिन हिमाचल प्रदेश के एक गांव में आज भी एक ऐसी परंपरा है जिसकी वजह से महिलाओं को काफी ज्यादा शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है, हिमाचल प्रदेश के पिणी गांव में हर साल सावन के महीने में यहां की महिलाएं पांच दिनों तक कपड़े नहीं पहनती हैं, अगर कोई महिला ऐसा नहीं करती है तो उसे कुछ ही दिनों में कोई बुरी खबर सुनने को मिल जाती है, इतना ही नहीं इस दौरान पूरे गांव में कोई भी पति-पत्नी आपस में बातचीत भी नहीं करते हैं और एक दूसरे से पूरी तरह से दूर रहते है।

इस परंपरा के पीछे हैं एक बेहद ही खास कहानी जिसे जानकर होगी आपको भी हैरानी

यह कहानी कुछ इस कदर है कि हिमाचल प्रदेश के इस गांव में बहुत समय पहले राक्षसों का अभी जबरदस्त आतंक था, इसके बाद ‘लाहुआ घोंड’ नामक एक देवता पिणी गांव आए और उन्होंने राक्षस का वध करके गांव को बचाया, यह राक्षस जब भी कभी किसी महिला की शादी होती थी और दुल्हन बनकर बह मेला इस गांव में आती थी तो वह राक्षस इस महिला को उठाकर ले जाते थे, लेकिन कुछ ही समय बाद देवताओं ने इन राक्षसों का वध करके इन महिलाओं को बचा लिया, उसी दौरान यह परंपरा इस गांव में शुरू हो गई और तब से इस गांव में बारिश के दिनों में 5 दिन के लिए महिलाएं बिना कपड़ों के ही घूमती है।

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