स्वर्ग से कम नहीं है भारत के आखरी गांव का नजारा, उत्तराखंड की खूबसूरत वादियों से घिरा भारत का आखिरी गांव

आपने कभी ना कभी उत्तराखंड जाने का तो सोचा होगा चलो इसे रहने देते हैं, पर आपने कभी ना कभी केदारनाथ महादेव के दर्शन के लिए तो सोचा ही होगा कि क्यों ना एक बार उत्तराखंड के महाकाल केदारनाथ के दर्शन ही कर लिया जाए आपको बता दें कि उत्तराखंड की वादियों के बीच बना महाकाल का यह मंदिर काफी ज्यादा प्रचलित है, बताया जाता है कि यह मंदिर काफी सालों से ऐसे का ऐसे ही टिका हुआ है, पर इसी खूबसूरती के बीच आपको यह भी पता होगा कि उत्तराखंड मैं एक ऐसा गांव भी है जो काफी लंबे समय से वैसा का वैसा ही है, अगर आपने भगवान नहीं देखा तो आपका वहां जाना एक नाकामयाब कोशिश ही रही होगी आपको बता देगी उत्तराखंड की वादियों में एक एक अनोखा गांव है, जो आपको सीधा स्वर्ग का परिचय करवाता है तो चलिए जानते हैं भारत के इस अनोखे और अंतिम गांव के बारे में।

उत्तराखंड की खूबसूरत वादियों से घिरा है भारत का आखिरी गांव

स्वर्ग से कम नहीं है भारत के आखरी गांव का नजारा, उत्तराखंड की खूबसूरत वादियों से घिरा भारत का आखिरी गांव

आज हम भारत के एक ऐसे गांव की बात कर रहे हैं जिसकी खूबसूरती देखने के बाद आपको स्वर्ग का रास्ता याद आ जाएगा और आपको ऐसा ही लगेगा कि आपने जीवन को त्याग कर स्वर्ग में वास कर लिया है, भारत की खूबसूरती पर चार चांद लगाने वाला यह उत्तराखंड का एक छोटा सा गांव आज भी वैसा का वैसा ही है और वैसा का वैसा रहने का एक ही कारण है, कि इसकी खूबसूरती इतनी ज्यादा प्रचलित है, कि विदेशों से लोग इसकी खूबसूरती का आनंद लेने के लिए यहां पर आते है, भारत का यह आखिरी गांव आपको अपने जीवन की संपूर्ण शोक का परिचय इस कदर करवाएगा कि आप इस गांव में जाने के बाद इस गांव से निकलने का नाम ही नहीं लेंगे।

स्वर्ग से कम नहीं है माणा का नजारा

स्वर्ग से कम नहीं है भारत के आखरी गांव का नजारा, उत्तराखंड की खूबसूरत वादियों से घिरा भारत का आखिरी गांव

भारत के आखिरी गांव माणा आज अपनी खूबसूरती क्यों लेकर काफी ज्यादा चर्चा में आ रहा है, आपको बता दें कि उत्तराखंड की वादियों में बसाई एक खूबसूरत सा गांव काफी ज्यादा हसीन और काफी ज्यादा जबरदस्त है, बद्रीनाथ से 3 किमी ऊंचाई पर भारत का यह सबसे पुराना गांव स्थित है,माणा समुद्र तल से 19000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है आपको बता दें कि भारत का यह अंतिम गांव तिब्बत की सीमा को छूता हुआ दिखाई पड़ता है, इस गांव में एक आदिवासी तरीके के लोग ज्यादा रहते हैं, पहले तो लोग इस गांव में बहुत कम जाया करते थे क्योंकि यहां पर सड़के सही नहीं हुआ करते थे, पर अभी हाल ही में लोग इस गांव की वादियों में अपना समय व्यतीत करते हुए काफी ज्यादा नजर आते हैं।

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